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कश्‍मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्‍म “दा कश्मीर फाइल्स” में पल्‍लवी जोशी ने राधिका मेनन नाम की JNU प्रोफेसर का रोल निभाया है। यह किरदार JNU में पॉलिटिकल साइंस पढ़ाने वाली प्रोफेसर निवेदिता मेनन पर आधारित है।
अगर आपने ‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ देख ली है तो कई किरदारों को लेकर मन में उत्‍सुकता होगी। चूंकि फिल्‍म सत्‍य घटनाओं पर आधारित है तो उसके किरदार भी असल जिंदगी से प्रेरित हैं।

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‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ में पल्‍लवी जोशी ने दिल्‍ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर राधिका मेनन की भूमिका अदा की है। उनका कैरेक्‍टर JNU स्‍टूडेंट्स को ‘कश्‍मीर की आजादी’ के लिए भड़काता नजर आता है। फिल्‍म के लीड कैरेक्‍टर ‘कृष्‍णा पंडित’ को ब्रेनवॉश करने में राधिका मेनन कोई असर नहीं छोड़तीं। वह उसका संपर्क आतंकी बिट्टा कराटे से कराती हैं जो JKLF के प्रमुख फारुख अहमद डार पर आधारित है। पल्‍लवी जोशी का कैरेक्‍टर असल में जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन से प्रेरित है। 2016 में निवेदिता मेनन के जेएनयू छात्रों के बीच दिए गए भाषण पर खासा विवाद हुआ था। उस भाषण को फिल्‍म में प्रमुखता से दिखाया गया है।

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कौन हैं JNU प्रफेसर निवेदिता मेनन?
JNU की वेबसाइट पर प्रफेसर निवेदिता मेनन के परिचय में लिखा है कि वे पॉलिटिकल थियरी, फेमिनिस्‍ट थियरी और इंडियन पॉलिटिक्‍स में स्‍पेशलाइजेशन रखती हैं। यून‍िवर्सिटी के सेंटर फॉर कम्‍पैरेटिव पॉलिटिक्‍स एंड पॉलिटिकल थियरी में पढ़ाने वाली निवेदिता की एजुकेशन सेक्‍टर में अपनी पहचान है। जेएनयू में आने से पहले उन्‍होंने 15 साल तक लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ाया। प्रफेसर निवेदिता के विचार काफी विवादास्‍पद रहे हैं। उनपर बार-बार भारत और हिंदू विरोधी विचार रखने के आरोप लगे हैं

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2016 का वह भाषण…
मार्च 2016 में JNU के भीतर काफी विरोध-प्रदर्शन चल रहे थे। इसी दौरान निवेदिता मेनन ने राष्‍ट्रवादी सिद्धांतों और भारतीय संघ में कश्‍मीर के शामिल होने पर भाषण दिया। अपने भाषण में निवेदिता ने कहा था कि ‘भारत ने कश्‍मीर पर अवैध कब्‍जा कर रखा है।’ निवेदिता के भाषण के खिलाफ ABVP के एक नेता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। मामला बढ़ने पर निवेदिता ने सफाई में कहा कि उन्‍होंने कोई देश विरोधी नारे नहीं लगाए थे।

पीएम तक ने किया था फिल्‍म का जिक्र
देश के कई राज्‍यों में ‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ को टैक्‍स-फ्री घोषित कर दिया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा था कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी और फिल्में बनाने की जरूरत है, ताकि लोग सच्‍चाई जान सकें। उन्होंने बीजेपी संसदीय दल की मीटिंग में फिल्म का जिक्र कर कहा कि जो लोग अभिव्यक्ति की आजादी के झंडे लेकर घूमते हैं, वे पिछले 5-6 दिनों से बौखला गए हैं। इस बीच, जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि कश्मीर मामले की हकीकत सामने लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज से जांच करवानी चाहिए।

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