दोस्तो आज हम आपके सामने एक मुख्य जानकारी लेकर आए है। हम आपको उन तमाम बातों से रूबरू कराएंगे जो आपकी सोच में काफी बदलाव लेकर आ सकती है। दोस्तो जब हम कर्म और भाग्य की बात करते है। तो सबसे पहले हमको इन शब्दों का अर्थ जानना जरूरी होता है। क्योंकि बिना किसी शब्द का अर्थ जाने किसी बात का ज्ञान अधूरा रहता है।
दोस्तो हम बात करते है सबसे पहले कर्म की। विभिन्न विद्वानों द्वारा कर्म की विभिन्न परिभाषा दी गई है।लेकिन यहां हम परिभाषा ना लेकर सामान्य बातो द्वारा इसका अर्थ जानेंगे। कर्म का अर्थ है किसी भी कार्य को लेकर हमारे द्वारा की गई मेहनत अर्थात उस काम को लेकर हमारे द्वारा किए गए कठिन प्रयास। वही अगर हम भाग्य की बात करे तो भाग्य कर्मो द्वारा किया गया एकत्र फल।
भाग्य बड़ा या कर्म
कुछ विद्वानों के द्वारा यहां तक भी कहा गया है कर्म और उसका प्रतिफल एक साथ काम नहीं करते अर्थात इसका अर्थ ये है की कुछ कर्मो का फल काफी समय बाद दिखाई देता है और कुछ का जल्दी दिख जाता है। सभी कर्मो का एक प्रतिफल होता है, जो मनुष्य को भोगना ही पड़ता है।
कर्मफल की कहानी
ये बात भी पूर्ण सत्य है, कर्मो के साथ साथ भाग्य की आवश्यकता होती है। किंतु भाग्य भरोसे बैठे रहने से भी कुछ प्राप्त नहीं होगा। गीता में भी कर्म को लेकर जोर दिया गया है। क्योंकि बिना कर्म के इन संसार कुछ भी नही है। क्योंकि सिर्फ भाग्य पर निर्भर रहकर भी कुछ हासिल नहीं कर पाओगे।
इसका एक साधारण अर्थ बता देता हूं अगर आपके भाग्य में किसी किसी वस्तु को प्राप्त करना है तो उसको प्राप्त करने के लिए भी हमको करना पड़ेगा। बैठे रहने से वो वस्तु प्राप्त नहीं होगी। ये बात भी पूर्ण सत्य है मनुष्य कर्म करने से नहीं बच सकता। कर्म उसको अवश्य करना पड़ता है। और उसका कर्म फल हमारे कर्मो से आधारित होता है।